ना दिल से उसे हम भुला पाते हैं
और ना यादों से अपनी मिटा पाते हैं !
है चुभते वो अल्फ़ाज़ सीने में मेरे
इशारों में वो जो कहे जाते हैं !!
गैरो से क्या हम गिला करने जाए
जब अपने ही दिल से उतर जाते हैं !
दिखाई ना देने का कर के बहाना
मेरे सामने से निकल जाते हैं !!
मुखातिर कभी जब वो होते हैं हमसे
बिना कुछ कहे सब वो कह जाते हैं !
निभाएँगे रिश्ता उमर भर मेरे संग
क्यूँ जाने वो ऐसी कसम खाते हैं !!
नही करते हैं हम एक उनसे मोहब्बत
ये इल्ज़ाम सर पे लगा जाते हैं !
कुछ प्यार भरे झूठे वादे करके
वो अरमान दिल में जगा जाते हैं !!
ना दिल से उसे हम भुला पाते हैं
और ना यादों से अपनी मिटा पाते हैं !
है चुभते वो अल्फ़ाज़ सीने में मेरे
इशारों में वो जो कहे जाते हैं !!
3 comments:
Good one....Publish your poems....there are many secret admires :)
Bahut sunder dil se nikale hue alfaj.
बेहतर प्रारंभ। आभार।
Post a Comment