Wednesday, August 26, 2009

किसी के लिए क्यूँ नही तुम हो जीते !!

आँखों के सपने , पलकों पे अपने

किसी के सहारे, नही छोड़े जाते !

किसी से किसी दिन, किए थे जो वादे

किसी के भी खातिर, नही तोड़े जाते !!


जो आए हैं इतने, घने गम के बादल

कभी भी सदा के लिए, हैं ना छाते !

कभी ना किसी का, यूँ दिल तोड़ देना

कि दिल तोड़ कर, कुच्छ नही हम हैं पाते !!


ना आए थे तुम, कुच्छ यहा साथ भी लेकर

तो खोने पे इतना, क्यूँ खलता तुम्हे है !

क्यूँ रोते हो तुम, और क्यूँ करते गीला हो

कोई जब यहाँ, साथ चलता नही है !!


ज़रूरत तो होती है, सबको सभी की

मोहब्बत किसी से, ना होती कभी है !

सभी भीड़ में हैं, और तन्हा सभी हैं

ये तन्हाई भी, कब से तन्हा रही है !!


उदासी का नगमा, सभी गा रहे हैं

सभी के दिलों में, यूँ घाम छ्छा रहे हैं !

किसी की खुशी को, यूँ मकसद बना के

किसी के लिए क्यूँ नही तुम हो जीते !!

3 comments:

Akanksha said...

This is a very inspiring poem ......It definitely helps when someone is feeling low...

You re a wonderful writer

Krishna said...

nice one..

Krishna said...

Adding to it :
Living without you is just a misery
In my life, there is nothing left to be