चाहते है तुझे, ना चाह कर भी
याद करते हैं हम, भुला कर भी !
दिल तुझसे नफ़रत, करता भी है पर
तेरी एक याद से, आँख भर आती है !!
रूठे हैं लब और हँसी खो गयी है
खफा हो के मुझसे, खुशी रो गयी है !
तुझे हम भुला दे, ये मुमकिन तो है पर
तेरी एक याद से, आँख भर आती है !!
तन्हा हू मैं और ये तन्हाई मेरी
कब से अकेली है, रुसवाई मेरी !
मेरी कहानी, अधूरी नही पर
तेरी एक याद से, आँख भर आती है !!
भाता नही अब, यूँ फूलों का खिलना
ना सावन की बदली, ना बूँदों का गिरना !
ना घंटो यूँ ही, रातों को जागना, क्यूँकि
तेरी एक याद से, आँख भर आती है !!
काग़ज़ पे मैने, जज़्बात रख दिए हैं
अश्को से अपने, अरमान लिख दिए हैं !
दर्द से मरने को, दर्द भी आतुर है, पर
तेरी एक याद से, आँख भर आती है !!
पैमाना भी डूब गया, गम में मेरे
साकी भी छोड़, गये मेरा साथ !
अकेला ही बैठा हूँ, ले कर ये जाम, क्यूँकि
तेरी एक याद से, आँख भर आती है !!
3 comments:
Yeh kavita padh kar bhi aankh bhar aati hai..Your poems show true emotions.
Anyone reading then would like it
Great Job
Dil Bhar aaya by God...!!!
i shall use this one in a greeting card, when proposing someone...
;)
I want you back in my life again
Without you, life is a sack of pain
is what I feel by this poem...
what a poetry...simple and touching..
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