Saturday, August 29, 2009

i dont find a title

थी जो उम्र भर वो तलाश हो तुम

जो ना बुझ सकेगी वो प्यास हो तुम

है जो बस गया मेरी रूह में

उस प्यार का एहसास हो तुम...


जो है जग को इस रौशन किए

वो नूर-ए-आफताब हो तुम

और जिसकी है ये चाँदनी

उस फलक की माह-ताब हो तुम


तुम ही तो हो मेरी जिंदगी

जिसके लिए था मैं जी रहा

तुम से ही मिलने की तड़प में

था मैं हर घड़ी विष पी रहा


जिसे देखता हून मैं ख्वाब में

वो नाज़ञी तुम ही तो हो,

जिसे पाने की ख्वाइश मुझे

वो दिलनशी तुम ही तो हो


जिसे देख कर जग रुक गया

वो अप्सरा हो वो हूर हो

और बहके से है ये कदम

जैसे नशे में चूर हो

1 comment:

Akanksha said...

Well m speechless.....Simply superb!!