थी जो उम्र भर वो तलाश हो तुम
जो ना बुझ सकेगी वो प्यास हो तुम
है जो बस गया मेरी रूह में
उस प्यार का एहसास हो तुम...
जो है जग को इस रौशन किए
वो नूर-ए-आफताब हो तुम
और जिसकी है ये चाँदनी
उस फलक की माह-ताब हो तुम
तुम ही तो हो मेरी जिंदगी
जिसके लिए था मैं जी रहा
तुम से ही मिलने की तड़प में
था मैं हर घड़ी विष पी रहा
जिसे देखता हून मैं ख्वाब में
वो नाज़ञी तुम ही तो हो,
जिसे पाने की ख्वाइश मुझे
वो दिलनशी तुम ही तो हो
जिसे देख कर जग रुक गया
वो अप्सरा हो वो हूर हो
और बहके से है ये कदम
जैसे नशे में चूर हो
1 comment:
Well m speechless.....Simply superb!!
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