Sunday, January 24, 2010

जुदाई


जिंदगी यू ही बिता दू तो कोई गम ना हो

अपने सपनो को भुला दू तो कोई गम ना हो

ये उम्र ही नही, मैं जान भी लूटा दू तुझ पर

कि भूल कर भी जुदाई का ये सितम ना हो


मुझे दोजख की आग से कोई गिला नही

इस जमाने के सितम से भी शिकवा नही

ऐ खुदा थोड़ी सी करम मेरे हिस्से लिख दे

कि ये तन्हाई मेरे दर्द की दवा नही


चली आ लौट के तू इतना भी गुरूर ना कर

अपनी चाहत को निगाहों से मेरे दूर ना कर

जिन्हे पॅल्को में सज़ा रखा था मोती की तरह

वो छलक जाएँगे, मुझे रोने पे मजबूर ना कर


मैं तो काफ़िर हूँ खुदा का, तेरा दीवाना हूँ

लोग कहते हैं की दुनिया से मैं बेगाना हूँ

वो जानते ही नही, इस दिल के धड़कने की वजह

कि साँस तेरी चल रही है, मैं तो जिंदा भर हूँ

Thursday, January 14, 2010

दास्ता-ए-मोहब्बत

आँखो के समंदर हैं, पॅल्को के किनारे हैं

रूठी सी एक फ़िज़ा है, पतझड़ से नज़ारे हैं

ज़हरीली सी महक है, फूलो की खुश्बूयो में

जो तुम चले गये हो, ये हाल हमारे हैं


जो पेड़ से गिरा है, उस पत्ते की कहानी

बैठो करीब मेरे, सुन लो मेरी ज़ुबानी

आगोश में उसी के, एक फूल भी छिपा था

जब तेज थी हवायें, और था बरसता पानी


सारी उमर लगा कर भी फूल को था चाहा

सह कर सितम जहाँ के वो फिर भी मुस्कुराया

उसके लिए मरने को ही जैसे वो जिया था

हाँ प्यार इस तरह से ही हमने भी किया था


हमने भी किसी दिल से, रिश्ता कभी बनाया

इस दिल का आशियाना, सपनो से था सजाया

बस एक भूल कर दी, जो भूल ना सके हैं

ख्वाइश वफ़ा की करके, बेवफा से दिल लगाया

Friday, January 8, 2010

आदत

अभी तक तो मैं अकेला ही चला जा रहा था,

मेरे इस सुनसान सफ़र में ये साथ किसका है

जिसे थाम कर चलने से उसने इनकार किया था

उन बदनसीब हाथो में जाने ये हाथ किसका है


साथ चलने से पहले, तुझे ये बताना चाहता हूँ

मुझे मंज़िल का क्या रास्ते का भी पता नही

मैं आज जो भी हूँ, जैसा भी हूँ, मानता हूँ

मेरी तन्हाई मेरी ग़लती है, पर क्या इसमे उसकी कोई ख़ाता नही


ऐ मेरे हमसफर मत देख इन आँखों में

इन आँखों की अब ज़ुबान नही है, ये बोल नही सकती

जो पलके उठ कर ही दुनिया के राज़ बता देती थी

आज वो चाह कर भी,राज़-ए-दिल खोल नही सकती


डर ये नही कि लोग मुझे रोता देख लेंगे,

और सोचेंगे हाल-ए-दिल की वजह क्या वही है

मैं तो बस डरता हूँ होठों के खुलने से

कि इस ज़ुबान को तेरे नाम की आदत सी हो गयी है

Friday, January 1, 2010

Happy New Year :)



झुक जाए सारी खुशियो,
कदमो में अब तुम्हारी
पा लो तुम अपनी मंज़िल,
है ये दुआ हमारी


कोई गम ना आने पाए
ना पलके भिग पाए
कि देख कर तुम्हे अब
अंबर भी झिलमिलाए


फिर भी कही जो पाओ
कोई कमी ओ हमदम
बस हाथ तुम उठा कर
और भूल कर सारे गम
रब से भी माँग लेना
तुम एक दुआ मेरे संग


तुमसे भी इस घड़ी मैं
ये वादा कर रहा हूँ
तुम्हारी हर चाहत को
करने को पूरी ख्वाइश
जो टूट कर गिरेगा
मैं ही वो सितारा हूँ