Saturday, September 26, 2009

दिल का दर्द, और दर्द की दवा बन जाओगे
मेरा हर एक गुनाह, और गुनाहों की सज़ा बन जाओगे
मुलाक़ातें तो हर रोज़ होती है किसी ना किसी से
छोटी सी एक मुलाकात में, ना जाने क्या बन जाओगे

मुझे मंज़िल पे ले चले, तुम वो रास्ता बन जाओग
इबादत मुझे सिखा कर, तुम मेरे खुदा बन जाओगे
कभी माँगा तुम्हे और फिर कभी पूजा तुम्हे मैने
नही सोचा था की तुम मेरे लिए जहाँ बन जाओगे

2 comments:

Akanksha said...

nice poem....very expresive

Krishna Dhruv said...

There is only one happiness in life: to love and be loved is best expressed by your poetries..
Nice compositions..keep going!!