Wednesday, September 9, 2009

मत जगा उम्मीद की शमा इन आँखों में ओ साकी

क्या इश्क़ की हक़ीक़त, ये दीवाना नही जानता

मैं जानता हूँ उससे मोहब्बत का अंजाम

पर ये दिल ही कम्बख़त, उसे बेवफा नही मानता


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