Tuesday, February 2, 2010

तुम भी तो उनके जैसे हो



ये आँखें भी अलसाई है, सदियों से ना सो पाई हैं
क्यूँ तेरे सपने देख रही, क्यूँ गम में तेरे भर आई हैं

अरमानों का एक शीशमहल, फिर मिट्टी में मिल जाएगा
और आते-आते अधरों तक , ये सागर भी छिन जाएगा

गर तुम भी छोड़ गये मुझको, ऐसे तो जी ना पाउन्गा
तुम अपना जहाँ बसाओगे और तन्हा मैं रह जाउन्गा,

जीवन भर साथ निभाने का, कुछ प्यार भरे वादे करके
एक दिन तुम भी खो जाओगे, सपनो से मेरा दामन भर के

तुम भी तो उनके जैसे हो, जो प्रेम का मोल ना जाने हैं
जिन्हे झूठ-सच का भेद नही, बस मतलब को पहचाने हैं


नज़रों से दूर चले जाओ, मुझे जीने की कोई वजह ना दो
जिसे भूल ना पाउ मैं क्षन भर, तुम ऐसी मुझको सज़ा ना दो

1 comment:

Unknown said...

thts very sentimental.....itni senti poems mat likha karo yaar.